Social Sciences, asked by 1172001sandeep, 6 months ago

ट्रांसफॉर्मर में अपरिवर्तित रहने वाली राशि हैं​

Answers

Answered by Aaksh2405
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Answer:

ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा धारा की आवर्ती को बिना बदले विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश धारा (direct current) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है।

एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप

'आदर्श ट्रान्सफॉर्मर' का योजनामूलक चित्र (स्कीमैटिक डायग्राम)

किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है:

{\displaystyle {\frac {V_{S}}{V_{P}}}={\frac {N_{S}}{N_{P}}}} {\displaystyle {\frac {V_{S}}{V_{P}}}={\frac {N_{S}}{N_{P}}}}

इस सूत्र से स्पष्ट है कि प्राइमरी वोल्टता के दिये हुए मान के लिये प्राइमरी एवं सेकेणडरी वाइण्डिंग के फेरों की संख्या का उचित चयन करके हम द्वितीयक वाइंडिंग में इच्छित विभवान्तर प्राप्त कर सकते हैं। जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से अधिक होता है तो ऐसे ट्रन्स्फार्मर को उच्चायी परिणामित्र (स्टेप-अप ट्रान्सफार्मर) कहते हैं। इसके विपरीत जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से कम होता है तो ऐसे परिणामित्र को अपचायी परिणामित्र (स्टेप-डाउन ट्रान्सफार्मर) कहते हैं।

Answered by utsrashmi014
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Explanation

एक ट्रांसफार्मर एक निष्क्रिय उपकरण हो सकता है जो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की विधि के माध्यम से बिजली को एक सर्किट से दूसरे में स्थानांतरित करता है। यह सर्किट के बीच वोल्टेज के स्तर को बढ़ाने या घटाने के लिए सबसे आम तौर पर अभ्यस्त है। ट्रांसफार्मर के कार्य नियम की जाँच करें और तदनुसार जाँच करें कि दी गई मात्रा में से कौन सी अपरिवर्तित रहती है।

पूर्ण चरण-दर-चरण समाधान: हम सभी जानते हैं कि एक ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण हो सकता है जो ऊर्जा को एक उपकरण से दूसरे उपकरण में स्थानांतरित करता है। सर्किट के बीच एसी की आवृत्ति को बदले बिना वोल्टेज आपूर्ति को बढ़ाना या घटाना आमतौर पर अभ्यस्त है। ट्रांसफार्मर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण और पारस्परिक प्रेरण के मूलभूत सिद्धांतों पर काम करते हैं।

दो उपकरणों के बीच वोल्टेज बढ़ और घट सकता है लेकिन आवृत्ति स्थिर रहती है।

हमारे पास एक ऑटोट्रांसफॉर्मर भी है जिसमें पहली कॉइल और कॉइल समान कॉइल साझा करते हैं।

एक ट्रांसफॉर्मर का सबसे उद्देश्य वोल्टेज का प्रबंधन करना है। ट्रांसफॉर्मर या तो इनपुट वोल्टेज की तुलना में आउटपुट वोल्टेज को बढ़ा सकता है या इसका उल्टा कर सकता है। सभी ने इस प्रक्रिया को बताया, वोल्टेज बदलता है इसलिए विद्युत प्रवाह होता है लेकिन आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है।

#SPJ2

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