Hindi, asked by reetakumari323, 2 months ago

तीर्थ स्थानों के सामाजिक महत्व​

Answers

Answered by anushkap790
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Answer:

तीर्थयात्रा से समूह की सीमाओं को तोड़कर राष्ट्रीय या क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलता है। ... उन दिनों भी तीर्थयात्री अक्सर भंयकर जानवरों और डकैतों और बीमारियों और अभावों आदि के खतरों से जूझते हुए भी सैकड़ों मील पैदल चल कर तीर्थस्थानों को पहुँचते थे। उनका उद्देश्य पुण्य कमाना होता था।

Answered by steffiaspinno
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तीर्थयात्रा किसी व्यक्ति के विश्वास और आस्था के लिए एक तीर्थ या अन्य महत्वपूर्ण स्थान की यात्रा है, हालांकि कभी-कभी यह किसी के अपने विश्वासों की यात्रा हो सकती है।

Explanation:

1. तीर्थ स्थान उस विशेष स्थान के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।

2. ये तीर्थस्थल उन्हीं पुराने रीति-रिवाजों का पालन करते हैं जो युवा पीढ़ी को सीखना जरूरी है।

3. धर्म लोगों को आपस में जोड़ता है क्योंकि उनकी एक जैसी मान्यताएं हैं।

4. जब हम विभिन्न तीर्थ स्थानों पर जाते हैं और देखते हैं तो यह बहुत अलग महसूस होता है क्योंकि हम एक अलग संस्कृति और जीवन के दृष्टिकोण का अनुभव करते हैं।

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