"तैसे ही हरि बसें, निरंतर, घट ही खोजो भाई।" - 'घट' का अर्थ बताइए।
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तैसी ही हरी बसें निरंतर | घट ही खोजो भाई ||
ये पंक्तियाँ गुरु नानक देव जी के द्वारा लिखी गयी हैं |
घट का अर्थ - शरीर, देह, ह्रदय है
"मनुष्य के ह्रदय में विराजते है भगवान
वेद, पुराण,उपनिषद,श्रुति आदि में भगवान् का निवासस्थान मनुष्य का हृदय बताया गया हैं |
"इसलिए गुरु नानक जी कहते है की भगवान को अपने ह्रदय (शरीर) में खोजो " वो हमारे अंदर ही है | मनुष्य भगवान को मंदिर, मस्जिद , गुरुद्वारों, व वन पर्वतों में खोजता फिर रहा है
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