तीसरी राजकुमारी ने चावल के दानों के साथ क्या किया?
Answers
Explanation:
उसे गेहूँ के भुने दाने भी बहुत पसंद थे। उसने दानों को भुनवाकर खा डाला और खेल में मग्न हो गई। तीसरी राजकुमारी को इस बात का यकीन था कि पिता जी ने उन्हें यूँ ही ये दाने नहीं दिए होंगे। ... इस तरह पाँच वर्षों में उसके पास ढेर सारा गेहूँ तैयार हो गया।
Answer:
तीसरी राजकुमारी को इस बात का यकीन था कि पिता जी ने उन्हें यँू ही ये दाने नहीं दि ए होंगे । जरूर इसके पीछे कोई मकसद होगा ।
पहले तो उसने भी अपनी दूसरी बहनों की तरह ही उन्हें सहेजकर रख देने की सोची, लेकि न वह ऐसा न कर सकी । दो-तीन दि नों तक वह सोचती रही, फिर उसने अपने कमरे की खिड़की के पीछेवाली जमीन में वे दाने बो दिए । समय पर अंकुर फूटे । पौधे तैयार हुए, दाने निकले । राजकुमारी ने तैयार फसल में से दाने नि काले और फि र से बो दिए । इस तरह पाँच वर्षों में उसके पास ढेर सारा गेहँू तैयार हो गया।
Explanation:
hope it helps...