तीसरी दुनिया से क्या अभिप्राय है
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तीसरी दुनिया जिसका उल्लेख कभी-कभी राजनीतिक सिद्धांत एवं तुलनात्मक राजनीति में उत्तर औपनिवेशिक समाज के रूप में किया गया है। इस संदर्भ में राज्य की प्रकृति के सवाल को लेकर बहस होती रही है तीसरी दुनिया में राज्य की प्रकृति की समझ बहुत जरूरी है क्योंकि तभी हम विश्व राजनीति में तीसरी दुनिया की भूमिका का निर्धारण कर सकेंगे।
तीसरी दुनिया अनेक ष्दशों का समूहश्श् है और इन देशों की कुछ खास सामान्य विशेषताएं हैं। कुछ लेखकों के अनुसार विकसित पूंजीवादी देशों का समूह प्रथम विश्व कहलाता है जबकि समाजवादी देशों का समूह द्वितीय विश्व के रूप में जाना जादा है। अफ्रीका, एशिया व लैटिन अमेरिका के अल्पविकसित देश तीसरी दुनिया के रूप में जाने जाते हैं। मालूम हो, ये देश औपनिवेशिक आधिपत्य के अधीन रहे थे। कुछ लेखक महाशक्तियों को प्रथम विश्व की कोटि में रखते हैं, जबकि यू.के. जर्मनी, आस्ट्रेलिया तथा कनाडा जैसे विकसित देशों को द्वितीय विश्व की कोटि में स्वीकार करते हैं। तीसरी दुनिया की कोटि में एशिया, अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका के अल्पविकसित देश आते हैं।