त्सव . मानयन्ति, उपासनागृहम
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ठीक उसी समय के लिए आपके साथ ठीक है मैं देख रहा हूँ ee
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प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था एवं महिलाओं की शैक्षणिक
स्थिति” पर शोध करने की प्रेरणा मुझे डॉ० राजकुमार भाटिया (रीडर,
इतिहास विभाग, बुन्देलखण्ड महाविद्यालय), और अग्रज डॉ0 मोहम्मद आरिफ
(लेक्चरर, राजनीति शास्त्र विभाग) से मिली |
'डॉ०0 राजकमार भाटिया के निर्देशन एवं प्रेरणा के कारण ही यह शोध प्रबन्ध
का कार्य सम्पन्न हुआ। अतः अपने श्रेद्वेय गुरूवर का हृदय से आभारी हू।
महाविद्यालय एवं विभाग के अन्य गुरूओं, मुख्य रूप से डॉ0० राजेन्द्र सिंह, डॉ0
एस. पी. पाठक एवं डॉ० मंजू सिंह का ऋणि हूँ. जिनके सहयोग से मेरा कार्य सुगम
हुआ। विषय के अनुशीलन एवं निबन्धन में जिन गुरूओं ने अपने बहुमूल्य सुझाओं से .
मुझे लाभान्वित भान्वित किया इसके लिए मैं उनका आभार प्रकट करता हूँ।
परिवार के समस्त सदस्य मुख्य रूप से भतीजी हिबा शाहजाद स्नेह के पात्र _
है, जिसने शोध कार्य की पूर्णता में अपना यथोचित सहयोग दिया।
में उन समस्त लेखकों के प्रति भी आभारी हूँ जिनकी रचनाओं का प्रत्यक्ष या