Hindi, asked by rs2444120, 5 hours ago

'ताशों के महलों सी मिट्टी की वैभव बस्ती क्या" आशय स्पष्ट कीजिए।​

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Answered by chowkatsneha
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Answer:

निर्मम कुम्हार की थापी से

कितने रूपों में कुटी-पिटी,

हर बार बिखेरी गई, किंतु

मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी!

आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़ कर छल जाए

सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमकी तो ढल जाए,

यों तो बच्चों की गुडिया सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या

आँधी आये तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए!

फसलें उगतीं, फसलें कटती लेकिन धरती चिर उर्वर है

सौ बार बने सौ बर मिटे लेकिन धरती अविनश्वर है।

मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।

विरचे शिव, विष्णु विरंचि विपुल

अगणित ब्रम्हाण्ड हिलाए हैं।

पलने में प्रलय झुलाया है

गोदी में कल्प खिलाए हैं!

रो दे तो पतझर आ जाए, हँस दे तो मधुरितु छा जाए

झूमे तो नंदन झूम उठे, थिरके तो तांड़व शरमाए

यों मदिरालय के प्याले सी मिट्टी की मोहक मस्ती क्या

अधरों को छू कर सकुचाए, ठोकर लग जाये छहराए!

उनचास मेघ, उनचास पवन, अंबर अवनि कर देते सम

वर्षा थमती, आँधी रुकती, मिट्टी हँसती रहती हरदम,

कोयल उड़ जाती पर उसका निश्वास अमर हो जाता है

मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है!

मिट्टी की महिमा मिटने में

मिट मिट हर बार सँवरती है

मिट्टी मिट्टी पर मिटती है

मिट्टी मिट्टी को रचती है

मिट्टी में स्वर है, संयम है, होनी अनहोनी कह जाए

हँसकर हालाहल पी जाए, छाती पर सब कुछ सह जाए,

यों तो ताशों के महलों सी मिट्टी की वैभव बस्ती क्या

भूकम्प उठे तो ढह जाए, बूड़ा आ जाए, बह जाए!

लेकिन मानव का फूल खिला, अब से आ कर वाणी का वर

विधि का विधान लुट गया स्वर्ग अपवर्ग हो गए निछावर,

कवि मिट जाता लेकिन उसका उच्छ्वास अमर हो जाता है

मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।

Explanation:

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