तीत-चार फूल
आस-पास धूल
बाँस है. बबूल
है।
है,
घास के
कूत्व
वायु
मी हिलोर दे,
पूँक दे चकोर दे
कब्र पर मजार पर यह दिदिया बुज्ञे नही
यह किसी शहिद का पुण्य प्राण दाज है
।
इस कविता का भावार्थ का सरम दार्थ लिखित
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no no no no no no no no no no no
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