Hindi, asked by adarshyewate8080, 2 months ago

तोते की कृतज्ञता तोते 80 to 100 word hindi​

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Answered by tajsaba81
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Answer:

एक बार जंगल में एक शिकारी शिकार की तलाश में घूम रहा था। शिकारी को थोड़ी दूर हिरनों का एक झुंड दिखाई दिया, उसने अपने जहर वाले बाण से एक हिरन पर निशाना साधा और बाण चला दिया। शिकारी का निशाना चूक गया जिससे हिरन तो बच गया लेकिन जहर वाला बाण एक बड़े पेड़ के तने में जा लगा। बाण में इतना अधिक जहर था कि उसके असर से कुछ ही दिनों में पेड़ की सारी पत्तियां झड़ने लगीं और पेड़ सूख गया।

उस पेड़ पर एक तोता बचपन से रहता था, तोते का जन्म भी इसी पेड़ पर हुआ था। तोते को इस पेड़ से बहुत अधिक लगाव था। पेड़ के सूखने पर भी तोता उसे छोड़ कर किसी दूसरे पेड़ पर नही गया। सूख जाने के कारण इस पेड़ में बहुत अधिक गर्मी रहने लगी थी तथा खाने के लिए फल भी नहीं थे इस वजह से पेड़ के साथ साथ तोता भी सूखने लगा। इतने कष्ट सहने पर भी तोता अपने प्रिय पेड़ को छोड़कर कहीं नहीं गया।

बादलों के भगवान इंद्र ने देखा कि एक इतना छोटा सा तोता अपने बचपन के साथी पेड़ के लिए इतने कष्ट सह रहा है तो भगवान इंद्र एक ब्राह्मण के रूप में उसके पास आए और बोले – “अरे छोटे से प्यारे पंछी तुम इस सूखे हुए मृत पेड़ पर बैठे रहते हो, ना तो इसमें छाया के लिए पत्तियां हैं और ना ही खाने के लिए फल। इतना बड़ा जंगल है और तुम तो उड़ भी सकते हो तो तुम क्यों नहीं किसी दूसरे पेड़ पर जाकर रहते। तुम दूसरे पेड़ों की छाया में आराम से रह सकते हो, फल भी खा सकते हो।” तोता एक गहरी लम्बी सांस लेकर बोला – “मैंने इस पेड़ पर ही जन्म लिया है और इसी पेड़ पर खेल कूद कर मैं बड़ा हुआ हूँ। जब यह पेड़ हरा भरा था तो इसने बड़े प्यार से अपने संरक्षण में मुझे रखा। मुझे धूप की गर्मी से बचाया, शिकारियों के हमले से बचाया और खाने के लिए मीठे फल भी दिये। जो कुछ भी इसके पास था इसने सब मुझे दिया, कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया। मैं इस पेड़ के सहारे ही जिंदा रहा, अब मैं इसके साथ ही मर जाना चाहता हूँ।” भगवान इंद्र तोते की बातों से बहुत अधिक प्रभावित हुए और बोले कि प्यारे पंछी तुम मुझसे कोई वर मांग सकते हो। तोता बोला कि प्रभु मैं तो उस समय की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जब पेड़ पौधों को जीवनदान देने वाला जल बरसेगा, बारिश होने से यह मेरा प्रिय मित्र पेड़ शायद फिर से हरा भरा हो जाए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं भी यहीं बैठे बैठे अपने प्राण त्याग दूंगा। यह सुनते ही भगवान इंद्र की आज्ञा से आसमान में काले बादल घिर आए और खूब तेज बारिश होने लगी जिससे सूखते हुए पेड़ में नया जीवन आ गया। कुछ ही दिनों में पेड़ फिर से खूब हरा भरा हो गया।

तोते ने बुरे समय में पेड़ का साथ दिया और इस तरह अपने प्यारे पेड़ को सूख कर मरने से बचा लिया।

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