तोते के ऊपर संवाद लेखन
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प्रेमी तोता मैना संवाद
मैना
ज़रुरत ही नहीं अलफ़ाज़ की
प्यार तो बस चीज़ है एहसास की
पास होते तो मजार ही क्या होता
दूर से मुझे कबर है तुम्हारी हर सांस की
तोता
प्यार जो एक चीज़ है एहसास की
ज़रुरत उसको भी है अलफ़ाज़ की
क्यों कि हर चीज़ चाहती है वह खुली न रहे
उसकी पैकिंग हो और वह काम आये
मैना
प्यार से समझाओ प्यार क्या है
तोता
गुंथे आटे में पानी सा, उदधि में ज्वर भाटे सा
जीवन परिधि में केंद्र बिंदु सा
फ़रिश्ता सभी रिश्तों का
कहूँ तो प्यार है बिना इसके जिए जाना
बहूत दुश्वार है
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
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