Hindi, asked by AvatarFromKerala, 4 months ago

'टूटा पहिया' कविता का टिप्पणी​

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Answered by aartigavli
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Answered by mithu456
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उत्तर:टूटा पहिया' भारती जी की एक छोटी कविता है। यह रचना भारती जी के 'सात गीत वर्ष' से चुनी गई है। टूटा पहिया लघु और उपेक्षित मानव का प्रतीक है, जिसे बेकार समझकर फेंक दिया गया है। नया कवि उसकी संभावनाओं को पहचानता है और उसकी क्षमताओं का मूल्यांकन करता है।

व्याख्या:टूटा पहिया कहता है कि मैं टूटा हुआ हूँ। लेकिन मुझे मत फेंको। कौन जाने कि इस दुरूह चक्रव्यूह में अभिमन्यु जैसे कोई साहसी वी घिर जाए और बड़ेबड़े महारथी उस साहसी वीर की निहत्थी आवाज़ को कुचल देना चाहे।
जब सारा संसार उस साहसी मनुष्य की अकेली आवाज़ को दबाना चाहेगा, तब मैं रथ का टूटा हुआ पहिया उसके हाथों में लगकर शत्रुओं के ब्रह्मास्त्रों से लोहा ले सकता हूँ। मुझे टूटा हुआ मानकर फेंको मत।
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