तात्पर्य लिखिए। १) जैसे पानी पीजिये, तैसे बानी होय ।
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कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं शुद्ध आहार और पानी से जिस तरह व्यक्ति का तन-मन साफ रहता है। ठीक उसी प्रकार संगति का असर भी होता है। इंसान जैसी संगति में उठता-बैठता है उसकी वाणी भी वैसी हो जाती हैं। इसलिए सदैव अपने आहार-विहार और संगति को ठीक रखो।
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