( तंत्रवाद के उदय के मुख्य कारण क्या थे?
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अमृतमपत्रिका ग्वालियर से साभार... क्या तन्त्र-मन्त्र-यंत्र विश्वसनीय होते है?.... तन्त्र में एक मारण क्रिया होती है, जिससे कहीं भी बैठे व्यक्ति को बिना हथियार के मारे जा सकता है। यह विद्या कामाख्या एव वीरपुर के तांत्रिकों के पास थी। अब लगभग समाप्ति की ओर है।
कामाख्या मंदिर से 20 किलोमिटर दूर एक पहाड़ी पर दुनिया का एक मात्र तांत्रिक नवग्रह मन्दिर है। इस स्थान से अनेकों मारण प्रयोग हुए। इस नवग्रह शिवालय में ग्रहों के रूप में 9 शिवलिंग स्थापित हैं।
कभी कामाख्या जाएं तो दर्शन जरूर करें।
एक थे कालूराम तांत्रिक, जिन्होंने मारण प्रयोग बहुत लिए। बाद में उन्हें इस तन्त्र से ग्लानि होने लगी। इस वजह सारः उन्होंने उस जगह को त्यागकर शहडोल से 12 किलोमीटर दूर घने जंगल में स्वयम्भू काली माँ का तांत्रिक मन्दिर खोज और उसका नाम पड़ा। कंकाली देवी। इनके दर्शन का सौभग्य मुझे अनेकों बार मिला। 1989 तक दुनिया में रहे।
7 से 8 फुट की माँ की यह प्रतिमा दुनिया में एक ही है, जो पूर्णतः नग्न है। इनका मुख खुला हुआ है। पहले मुख में नारियल गोल चला जाता था। लेकिन अब नहीं।