Hindi, asked by bharwelalit, 5 months ago

तैत्तिरीय आरण्यक में प्रतिपादित पंचमहायज्ञों का संक्षिप्त निरूपण
कीजिए।​

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Answered by neeraj131221
2

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Answered by rajpootmanish326
1

इस आरण्यक में दस प्रपाठक हैं और सभी प्रपाठक अनुवाकों में विभक्त हैं। अनुवाकों की कुल संख्या १७० है। सुप्रसिद्ध तैत्तिरीय उपनिषद् भी तैत्तिरीय आरण्यक का ही अंश है। इस आरण्यक के सात से नौ प्रपाठकों को ही तैत्तिरीय उपनिषद् कहा जाता है। यज्ञ-संबंधी अनेक विषयों का समावेश इस ग्रन्थ में हुआ है। इस आरण्यक के द्वितीय प्रपाठक में गंगा-यमुना के मध्यप्रदेश को पवित्र मानते हुए उसे मुनियों का निवास स्थान बतलाया गया है। इसके अतिरिक्त इस आरण्यक में काशी, पांचाल, मत्स्य, कुरुक्षेत्र, खाण्डव, अहल्या आदि का वर्णन भी मिलता है। यज्ञोपवीत का सर्वप्रथम उल्लेख इसी ग्रन्थ में हुआ है। बौद्धों में प्रचलित सुप्रसिद्ध श्रमण शब्द भी इस आरण्यक में उल्लिखित है। यहाँ तपस्वी पुरुष को श्रमण कहा गया है।

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