Hindi, asked by mdjafarmemon31, 5 months ago

त्तरीय प्रश्न-
. मनुष्य के जीवन को पानी के बुलबुले की तरह क्यों माना गया है?
है
sant kabir ke dohe ka question hài

Answers

Answered by kasishwalia2087
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अर्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य जीवन पानी के एक बुलबुले की भांति है। जैसे पानी का बुलबुला केवल थोड़ी देर के लिए ही बनता है और शीघ्र नष्ट हो जाता है। मनुष्य जीवन भी थोड़े समय में ठीक उसी प्रकार नष्ट हो जाता है जैसे सुबह होने पर आसमान में सभी तारे छिप जाते हैं।

Answered by Divyani027
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कबीर का कथन है कि जैसे पानी के बुलबुले, इसी प्रकार मनुष्य का शरीर क्षणभंगुर है।जैसे प्रभात होते ही तारे छिप जाते हैं, वैसे ही ये देह भी एक दिन नष्ट हो जाएगी। अर्थात जिस प्रकार हम पानी के बूंद को नीचे गिरते है तो वह पल बार में बिखर जाता उसी प्रकार मनुष्य भी होता है। कितना भी वह प्रसिद्ध हो जाए, कितने भी आसमान के उचे बुलंदियों को छू ले लेकिन एक वो दिन भी आता है जिस दिन वह मृत्यु के गोद में समा जाता है और उसी पानी के बूंद के तरह ही क्षणभर में खत्म हो जाता है।

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