'टूटते हुए' एकांकी के सभी पात्र नौकरी कर
रहे है, फिर भी उनकी जरूरते पूरी क्यो नहीं
होती।
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'टूटते हुए' एकांकी के सभी पात्र नौकरी कर
रहे है, फिर भी उनकी जरूरते पूरी क्यो नहीं
होती।
टूटते
'टूटते हुए' एकांकी के सभी पात्र नौकरी कर रहे है, फिर भी उनकी जरूरते पूरी क्यो नहीं होती।
‘टूटते हुए’ एकांकी सुरेश चंद्र शुक्ल द्वारा लिखा हुआ मध्यम वर्गीय परिवार की समस्या पर केंद्रित एकांकी है। इस एकांकी में एक मध्यमवर्गीय परिवार के 4 सदस्य हैं। चारों सदस्य अपने जीविकोपार्जन के लिए बाहर काम के लिए जाते हैं। सभी पात्र नौकरी कर रहे हैं फिर भी उनकी जरूरतें इसलिए पूरी नहीं हो रही क्योंकि महानगर की जीवन शैली इतनी अधिक जटिल और महंगी है कि एक मध्यम वर्गीय परिवार के सभी सदस्यों को काम करने के बावजूद अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पाते।
पैसा कमाने की अंधाधुंध दौड़ में और अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परिवार का प्रत्येक सदस्य भागमभाग में लगा है लेकिन फिर भी वह अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहा क्योंकि महानगरीय जटिल जीवन शैली उन्होंने स्वयं के लिए मशीन बना लिया है।