तिद्री समाधि का वर्णन करो
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ध्यान के उच्च अवस्था को समाधि कहते हैं। हिन्दू, जैन, बौद्ध तथा योगी आदि सभी धर्मों में इसका महत्व बताया गया है। जब साधक ध्येय वस्तु के ध्यान में डूब जाता है और उसे अपने अस्तित्व का ज्ञान नहीं रहता है तो उसे समाधि कहा जाता है। पतंजलि के योग सुत्र में समाधि को आंठवा(अन्तिम) अबस्था बताया गया है
समाधि के बाद पृज्ञा का समय होता है
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