ताड़ों के पत्तों पर जल की बूंदों के गिरने का कवि ने कैसा भाव उपस्थित किया है
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ताड़ो के पत्तों पर जल की बूंदों के गिरने का कवि ने कैसा भाव प्रस्तुत किया है? उत्तर – ताड़ के पत्ते पंखों से नजर आते हैं, लम्बी-लम्बी अँगुलिया और हथेली के साथ उन पर पानी की धार तड़-तड़ करके पड़ती है। हाथ और मुँह से बूंदें झिल-मिल करती हुई उप-टप गिरती हैं।
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