तोड़ो कविता में कवि ने सृजन हेतु भूमि को तैयार करने के लिए क्या राय दिया है
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Explanation:
आह वेदना .......................................................... लाज गंवाई।
मूल भाव:- ‘देवसेना की गीत’ प्रसाद के ‘स्कंदगुप्त’ नाटक से लिया गया है। मालवा के राजा
बंध्ुवर्मा की बहन देवसेना स्कंदगुप्त के प्रेम निराश होकर जीवन भर भ्रम में जीती रही तथा विषम
परिस्थितियों में संघर्ष करती रही। इस गीत के माध्यम से वह अपने अनुभवो ं में अर्जित वेदनामय क्षणों
को याद कर जीवन के भावी सुख, आशा और अभिलाषा से विदा ले रही है।
व्याख्या बिन्दु:- देवसेना मालवा के राजा बंध्ुवर्मा की बहन है। बंध्ुवर्मा की वीरगति के उपरांत देवसेना
राष्ट्रसेवा का व्रत लेती है। वह यौवनकाल में स्कंदगुप्त को पाने की चाह रखती थी, किंतु स्कंदगुप्त
मालवा के ध्नकुबेर की कन्या विजया की और आकर्षित थे। देवसेना जीवन में नितांत अकेली हो
जाती है और गाना गाकर भीख माँगती है। जीवन के अंतिम पड़ाव पर भी देवसेना को वेदना ही मिली।
स्कंदगुप्त को पाने में असपफल होने के कारण निराशा भरा जीवन व्यतीत किया। यौवन क्रियाकलापों
को वह भ्रमवश किए गए कर्म मानती है, इसलिए उसकी आँखो से निरंतर आँसुओं की धरा बह रही
है। यौवनकाल में स्कंदगुप्त को न पाकर, अपने प्रेम को वह भूल चुकी है। स्कंदगुप्त के प्रणयनिवेदन
से वह स्वप्न देखने लगती है। उसे लगता है कि परिश्रम से उत्पन्न थकान के कारण जैसे कोई यात्राी