ताड़का कौन थी और उसका वध किस प्रकार हुआ था ❓
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रामायण की एक पात्र है ताडका, जोकि सुकेतु यक्ष की पुत्री थी, जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। ... राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर देते हैं। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरता है।
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रामायण की एक पात्र है ताडका, जोकि सुकेतु यक्ष की पुत्री थी, जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुन्दर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्षमण को अपने साथ सुंदर वन लाते हैं। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर देते हैं। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरता है।
कहते हैं कि सुकेतु नाम का एक अत्यंत बलवान यक्ष था। उसकी कोई भी सन्तान नहीं थी, अतः सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से उसने ब्रह्म जी की कठोर तपस्या की, उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे सन्तान होने का वरदान दे दिया और उस वर के परिणामस्वरूप ताड़का का जन्म हुआ। सुकेतु ने ब्रह्मा जी से ताड़का के अत्यंत बली होने का वर भी ले लिया और ब्रह्मा जी ने उसके शरीर में हजार हाथियों का बल दे दिया। विवाह योग्य आयु होने पर सुकेतु ने ताड़का का विवाह सुन्द नाम के राक्षस से कर दिया और उससे सुबाहु और मारीच का जन्म हुआ। मारीच भी अपनी माता के समान बलवान और पराक्रमी हुआ। ताड़का का पुत्र मारीच सुन्द राक्षस से उत्तपन्न होकर भी स्वयं राक्षस नहीं था। परन्तु बचपन में वह बहुत उपद्रवी था।
रामायण की एक पात्र है ताडका, जोकि सुकेतु यक्ष की पुत्री थी, जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुन्दर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था।