तोड़ती पत्थर कविता में निराला की स्त्री दुष्ट पर प्रकाश डालिए
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पूँजीवादी व्यवस्था द्वारा किए जा रहे शोषण को देखकर निराला बहुत बेचैन होते थे। उनकी अनेक रचनाओं में यह बेचैनी और पीड़ा झलकती है। 'वह तोड़ती पत्थर' कविता में भी श्रमिक नारी के जीवन और उसके प्रति समाज की हृदयहीनता का अंकन किया गया है। निराला का अपना जीवन भी कष्ट भोगते हुए बीता।
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