तोड़ती पत्थर कविता पूंजीवादी समाज पर प्रहार करती हैसार्थकता बताई
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वह तोड़ती पत्थर' कविता कवि निराला के द्वारा लिखा गया है। इस कविता के अनुसार कवि और बताना चाहता है कि हमारे समाज में दो प्रकार के लोग रहते हैं जिन्हें कभी अपनी भाषा में कहा है शोषक और शापित। ... इसीलिए इस कविता में कवि ने पूंजीवादी वर्ग को शोषक वर्ग का दर्जा देकर उनके ऊपर तीखा प्रहार किया है।
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