Hindi, asked by sumitratomar1980, 1 month ago

तोड़ती पत्थर' कविता पूंजीवादी समाज व्यवस्था पर प्रहार है इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए​

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Answered by shishir303
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'तोड़ती पत्थर' कविता पूँजीवादी समाज व्यवस्था पर प्रहार है। इस की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।

‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता के माध्यम से कवि निराला ने पूंजीवादी व्यवस्था पर तीखा प्रहार किया है।

कवि के अनुसार समाज में दो तरह के लोग पाए जाते हैं, शोषक और शापित। शोषक यानि जो पूँजीवादी वर्ग है, जो धनवान है, बलशाली है। जो निर्धन और निर्बल लोगों का शोषण करते हैं और वह अपना पूरा जीवन दूसरों का शोषण करने में गुजार देते हैं। ऐसे शोषक लोग बेहद प्रभावशाली और धनाढ्य लोग होते हैं। शोषित वर्ग में मजदूर किसान निर्धन लोग आते हैं, जिन्हें अपने जीवन में नित्य प्रति अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हर तरह की आपदा विपदा भी इन्हीं लोगों पर सबसे पहले आती है। ये लोग अपने जीवन में अनेक कष्ट और दुख झेलते है, फिर भी यह लोग अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहते हैं और अपने कर्म में निरंतर मगन रहते हैं। कवि ने इसी पूँजीवादी वर्ग को शोषक वर्ग का दर्जा देकर तीखा प्रहार किया है।

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Answered by rohitkumargupta
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HELLO DEAR,

GIVEN:- 'तोड़ती पत्थर' कविता पूंजीवादी समाज व्यवस्था पर प्रहार है इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए

ANSWER:- 'वह तोड़ती पत्थर' कविता कवि निराला के द्वारा लिखा गया है।

इस कविता के अनुसार कवि और बताना चाहता है कि हमारे समाज में दो प्रकार के लोग रहते हैं जिन्हें कभी अपनी भाषा में कहा है शोषक और शापित। कभी अपने कविता के माध्यम से शोषक वर्ग को पूंजीवादी वर्ग के नाम से बताया है। कवि के अनुसार पूंजीवादी वर्ग के लोग ही समाज में शोषण करने का काम करते हैं और शापित वर्ग में किसान, मजदूर, निर्धन यह सब आते हैं। कवि के अनुसार निचले वर्ग के लोगों के ऊपर ही सारी प्रकार की आपदा पहले आती है यह सबसे पहले दिन ही झेलना पड़ता है। इसीलिए इस कविता में कवि ने पूंजीवादी वर्ग को शोषक वर्ग का दर्जा देकर उनके ऊपर तीखा प्रहार किया है।

THANKS.

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