India Languages, asked by kk8898337, 5 months ago

त्वं _____ कुक्करौ भव ​

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Answered by pitamberpatel1678
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Explanation:

संवाद सहयोगी, तिर्वा : अहंकार में तीनों गए बल, बुद्धि और वंश, ना मानो तो देख लो कौरव, रावण और कंस। मनुष्य की पहचान उसके कर्मो से होती है। धन, बल, जाति यह सब दिखावा होता। इसका कोई ठिकाना नहीं होता। नि:स्वार्थ होकर ईश्वर की पूजा करने से ही फल मिलता और सद्भावना से दान करने पर कष्टों का निवारण होता है।

मंगलवार को सुजानसराय रोड ईसन नदी पुल के पास पाला गांव के मोड़ पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा। इसमें कथा वाचक राजेश कुमारी शास्त्री ने कथा का रस पान कराया। कथा में सुदामा चरित्र को सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने बताया कि धन व बल बढ़ने पर अधिकांश लोगों में अहंकार हो जाता है। कहा कि ईश्वर की प्रार्थना करते वक्त आस्था में लीन हो जाना चाहिए। उन क्षणों में व्यक्ति खुद को भूलकर ईश्वर की भक्ति में मगन हो जाना चाहिए। व्यक्ति को अपने कर्मो को करते रहना चाहिए। फल की इच्छा उसकी भक्ति को स्वार्थी बना देती है। इससे उसको उस भक्ति का फल ही नहीं मिल पाता है। इस मौके पर रघुवीर ¨सह, संतोष, रामप्रकाश, नंदराम, जयकरन, जयपाल, गुरुदयाल, ¨सटू, सोनू यादव, सुनील यादव, जयवीर, संजय, संजेश कुमार समेत कई लोग मौजूद रहे।

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