टीवी के कार्यक्रम देखने और अध्ययन के प्रति लापरवाह होने पर पिता और पुत्र के बीच संवाद लेखन लिखिए।
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टीवी के कार्यक्रम देखने और अध्ययन के प्रति लापरवाह होने पर पिता और पुत्र के बीच संवाद
पिता — मयूर, टीवी बंद करो और इधर मेरे पास आओ।
पुत्र — जी, पापा बोलिये।
पिता — आजकल तुम टीवी बहुत देखने लगे हो, जब देखो टीवी से ही चिपके रहते हो, तुम्हारा मन अब पढ़ाई में बिल्कुल भी नही लगता।
पुत्र — नही पापा, मैं तो थोड़ी देर ही टीवी देखता हूँ।
पिता — यानि अब तुम झूठ भी बोलने लगे हो। मैं जब भी घर में घुसता हूँ तुम्हें टीवी देखता ही पाता हूँ, तुम्हारी मम्मी भी तुम्हारी शिकायत कर रही थीं कि दिन भर टीवी देखता रहता है।
पुत्र — (सिर झुकाते हुये) जी।
पिता — देखो बेटा, टीवी एक मनोरंजन का साधन है, इसे अपनी आदत मत बनाओ। मैं तुम्हें ये नही कह रहा कि तुम टीवी बिल्कुल भी न देखो। तुम टीवी देखो, लेकिन एक मर्यादित समय तक देखो। तुम्हारे लिये अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है।
पुत्र — जी, पापा।
पिता — तुमने टीवी देखने को अपनी आदत बना लिया है, ये ठीक नही है। टीवी को तुम थोड़े समय के मनोरंजन के साधन के रूप में लो, जब पढ़ाई करके तुम थक जाओ तो रिलैक्स होने के लिये थोड़े समय टीवी देख सकते हो। लेकिन तुम इसका उल्टा कर रहे हो दिनभर टीवी देखते हो और पढ़ाई के लिये नाम-मात्र का समय देते हो।
पुत्र — पापा, सॉरी। गलती हो गयी। मैं आज से टीवी देखना कम कर दूंगा।
पिता — यही मैं चाहता हूँ। तुम्हारे लिये अभी अच्छी पढ़ाई करके अपने करियर बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण है, टीवी देखने में अधिक समय बर्बाद करना अपने भविष्य से खिलवाड़ करने के समान है। तुम एक टाइम-टेबल बनाओ। अधिक से अधिक समय अपनी पढ़ाई के लिये रखो। शाम के दो घंटे टीवी देखने के लिये तय करो।
पुत्र — जी पापा। मैं आज से एक टाइम-टेबल बनाता हूँ और आप जैसा कहेंगे वैसा ही करूंगा।
पिता — शाबास बेटा। अब जाओ, टाइम-टेबल बनाकर मुझे दिखाओ। नेक काम में देरी कैसी।
पुत्र — जी पापा। अभी बनाकर लाता हूँ।