त्वं ______ पुरी गमिष्यति।
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त्वं कदा पुरी गमिष्यति।
Explanation:
- त्वं कदा पुरीं गमिष्यसि
- सं स्कृत के वे शब्द जो सर्वदा एक जैसे ही रहते हैं (जिनमें विभक्ति, वचन तथा
- लिङ्ग के आधार पर कोई परवर्तन नहीं होता है।) उन्हें अव्यय कहते हैं—
- सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु च विभक्तिषु।
वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम्॥
- अर्थात् तीनों लिंगों में, सभी विभक्तियों और सभी वचनों में जो समान ही रहता है, रूप में परिवर्तन नहीं होता, वह अव्यय होता है।
- अव्ययों के अन्त में आने वाले र, स् वर्गों के स्थान पर विसर्ग का प्रयोग होता है, जैसे उच्चस = उच्चैः नीचैस = नीचैः अन्तर = अन्तः, पुनर = पुनः।
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