तिवारी का तोता कहानी का शीर्षक का उद्देश्य क्या है
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¿ तिवारी का तोता कहानी का शीर्षक का उद्देश्य क्या है ?
➲ ‘तिवारी का तोता’ कहानी एक ऐसे तोते की कहानी है जो पिंजरे में बंद गुलामी का जीवन व्यतीत कर रहा था, लेकिन उसे अपनी गुलामी का अहसास नही था। इस कहानी का उद्देश्य यह बताना है कि गुलामी के जीवन में भले ही कितनी भी सुख-सुविधाएं मिलें, पिंजरा चाहे सोने का क्यों ना हो, लेकिन गुलाम गुलाम ही रहता है। गुलाम यदि अपने मालिक की बात नहीं मानता तो उसकी दुर्गति होती है, जैसे तिवारी के तोते की हुई।
तिवारी का तोता और जंगल का तोता दोनों के बीच में संवाद के माध्यम से लेखक ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि आजादी का अपना अलग महत्व है। गुलाम का केवल शरीर जिंदा रहता है उसकी आत्मा मर चुकी होती है। जंगल के तोते ने पिंजरे में बंद तिवारी के तोते की आत्मा को जागृत कर दिया था। भले ही तिवारी के तोते अपने प्राण गवां दिए, लेकिन जंगल के तोते की प्रेरणादायक बातों से उसकी मरी हुई आत्मा जीवित हो गई थी।
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