टीवी देखना समय की बर्बादी है इस विषय पर माता पुत्र के बीच संवाद लिखें
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टीवी देखने के संबंध में माता और पुत्र के बीच संवाद...
माँ किचन से ड्राइंगरूम में आती है और अपने पुत्र सोहन उर्फ सोनू को टीवी देखता हुआ पाकर उसपर चिल्लाती है।
माँ — सोनू, तुम्हें कितनी बार कहा है कि हर समय टीवी से मत चिपके रहा करो।
सोनू — माँ, अभी ही तो बैठा हूँ देखने के लिये।
माँ — झूठ बोलते हो कि अभी ही बैठा हूँ। ग्यारह बज रहे हैं। जब मैं लगभग नौ बजे किचन में गयी थी तब भी तुम टीवी देख रहे थे। चलो बंद करो टीवी।
सोनू — माँ, बस ये प्रोग्राम देखने दो। बड़ा ही मजेदार प्रोग्राम है।
माँ — देखो मैं तुम्हे पहले भी कितनी बार समझा चुकी हूँ कि ज्यादा टीवी मत देखा करो ज्यादा टीवी देखना बस समय की बर्बादी ही है।
सोनू — माँ, ये आप क्या कह रही हो। टीवी पर आजकल कितने अच्छे-अच्छे प्रोग्राम आते हैं और हमे कितनी अच्छी-अच्छी बातें सीखने को मिलती हैं।
माँ — जरूरी नहीं कि टीवी से सारी अच्छी-अच्छी बातें ही सीखने को मिलती है और जिन अच्छे-अच्छे प्रोग्राम कि तुम बात कर रहे हो तुम वो प्रोग्राम देखते ही कहां हो। तुम तो बस फालतू के प्रोग्राम देखते रहते हो।
सोनू — माँ, वो फालतू के प्रोग्राम नहीं है। बड़े मजेदार प्रोग्राम होते हैं। जिसमें हमें खूब आनंद आता है।
माँ — लेकिन उससे तुम्हें सीखने को क्या मिलता है बस ऊटपटांग हरकते करना। तुम दिन भर टीवी से चिपके रहते हो इसके कारण तुम्हारे शरीर की शारीरिक गतिविधि भी कम हो जाती है। यह तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आज रविवार है। आज पूरा दिन तुम टीवी देखोगे इसकी जगह आकर आज तुम दिन में थोड़ा खेलने जाते। मैदान में खेलते। अपने दोस्तों से मिलते तो बेहतर होता। लेकिन तुम सब कुछ छोड़कर टीवी के आगे ही बैठे हो।
सोनू — माँ, बस थोड़ी देर और देखने दो।
माँ — ये तुम्हारी रोज की आदत हो गयी है। मैं तुम्हारे भले के लिये कह रही हूँ। टीवी देखना कम करो। मैं तुम्हारे टीवी देखने के खिलाफ नही हूँ बल्कि चाहती हूँ कि तुम टीवी से हर समय चिपके नही रहो। एक निश्चति समय तक ही देखो ताकि तुम्हारा ध्यान अन्य गतिविधियों पर भी लग सके।
सोनू — माँ, आप बताओ कि मैं क्या करूँ।
माँ — बस मैं यही चाहती हूँ कि तुम टीवी देखने में अधिक समय न बर्बाद करो और समय का सदुपयोग करना सीखो। अभी तुम्हें जीवन में बहुत कुछ करना है।
सोनू — ठीक है माँ। मैं आज से थोड़ी देर ही टीवी देखा करूंगा। रोज शाम को थोड़ी देर मैदान में खेलने जाऊंगा और बाकी समय अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दूंगा।
माँ — ये हुई न बात। मेरा अच्छा सा बेटा।
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