त्वया विहीनो यत्राहं विललाप सुदु:खितः
इति प्रसङ्गे क: कस्याः विरहे विलापम् अकरोत्?
Answers
Answered by
0
Answer:
hi good night to all
Explanation:
Answered by
0
Answer:
सुखदुःखको समान तुल्य समझकर अर्थात् ( उनमें ) रागद्वेष न करके तथा लाभहानिको और जयपराजयको समान समझकर उसके बाद तू युद्धके लिये चेष्टा कर इस तरह युद्ध करता हुआ तू पापको प्राप्त नहीं होगा। यह प्रासङ्गिक उपदेश है।
स्वधर्ममपि चावेक्ष्य इत्यादि श्लोकोंद्वारा शोक और मोहको दूर करनेके लिये लौकिक न्याय बतलाया गया है परंतु पारमार्थिक दृष्टिसे यह बात नहीं है।
यहाँ प्रकरण परमार्थदर्शनका है जो कि पहले ( श्लोक 30 ) तक कहा गया है। अब शास्त्रके विषयका विभाग दिखलानेके लिये एषा तेऽभिहिता इस श्लोकद्वारा उस ( परमार्थदर्शन ) का उपसंहार करते हैं।
Similar questions