Political Science, asked by prajapatikrati479, 7 months ago


त्याग तो ऐसा कीजिए, सब कुछ एकहि बार ।
सब प्रभु का मेरा नहीं, निहचे किया विचार ।।
महतको निश्चय करना
भासस
सुनिये गुण की बारता, औगुन लीजै नाहिं। अब
हंस छीर को गहत है, नीर सो त्यागे जाहिं।।
शी-पानी हा
अब
bi
छोड़े जब अभिमान को, सुखी भया सब जीव ।​

Answers

Answered by vk2248890gmailcom
0

Answer:

wow good.........

.

...................

Similar questions