त्योहार हमें एकता के सूत्र में बांधते है इस्पश करें। plz tell me the answer
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हमारे त्योहार हमें एकता के सूत्र में बांधते हैं, ये हमारे अतीत की लड़ी के साथ संबंध जोड़कर विभिन्न देवी-देवताओं से जुड़ी गाथाओं के साथ हमारे जीवन का तारतम्य स्थापित करते हैं। हमारे मेले चाहे वे त्योहारों के साथ संबंधित हों या नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं और हमारे आर्थिक, धार्मिक व सामाजिक जीवन से इनका सीधा संबंध है। हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले त्याहारों का प्रदेश में बदलती ऋतुओं से सीधा संबंध है। प्रत्येक नई ऋतु के आने पर कोई त्योहार मनाया जाता है। इसके साथ कुछ त्योहारों का फसल के आने से भी संबंध है। यद्यपि दीवाली, दशहरा व होली आदि त्योहारों से हमारा परिचय सातवीं और 15वीं शताब्दी के मध्य मैदानों से आने वाले लोगों के संपर्क या वहां से आने वाले राजाओं के राज्य स्तर पर इन व कुछ अन्य त्योहारों के मनवाए जाने के कारण हुआ। कुछ त्योहार अति प्राचीन हैं और उनका शिव या शक्ति की पूजा से सीधा संबंध है। आधुनिक युग में मनाए जाने वाले व्यापारिक या पशु मेले अलग हैं। त्योहारों की तिथियां देशी विक्रमी-संवत् के महीनों के अनुसार गिनी जाती हैं। वैसे प्रत्येक महीने का पहला दिन संक्रांति कहकर पुकारा जाता है और कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं। कुल पुरोहित का इस दिन अपने यजमानों के घर जाकर अनाज (जिसे निम्न भाग में नसरावां कहते हैं) और दक्षिणा प्राप्त करना अधिकार समझा जाता है। यजमान भी इस दिन पुरोहित को धन-अन्न दान करने में पुण्य समझते हैं। इसी प्रकार पूर्णमासी का दिन, जिस दिन चंद्रमा पूर्ण रूपेण आकाश में दिखाई देता है, वह भी शुभ माना जाता है और इस दिन भी लोग उपवास रखने में पुण्य समझते हैं। जानते हैं मुख्य त्योहारों के बारे में:
चैत्र-संक्रांति : विक्रमी संवत् चैत्र मास की प्रथम तिथि (देशी महीनों की तिथि को स्थानीय बोली में प्रविष्टे कहा जाता है) से प्रारंभ होता है। चैत्र की संक्रांति भी त्योहार के रूप में मनाई जाती है, ताकि नया वर्ष शुभ और उल्लासमय हो। हालांकि इस दिन कोई विशेष पकवान वगैरह तैयार नहीं किए जाते, अलबत्ता पूजा की जाती है। निम्न भाग में देशी या मंगलमुखी और मध्य तथा ऊपरी भाग के ढाकी या तुरी जाति के लोग सारे चैत्र महीने में शहनाई और ढोलकी बजाते हुए घर-घर जाकर और मंदिरों के अहातों में नाच व गाकर मंगल गान करते
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