त्योहार हमारी संस्कृति के वाहक निबंध लेखन लिखीए
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संस्कृति न केवल मनुष्य की आत्मा वाहक है बल्कि एक राष्ट्र का मूल भी है। विभिन्न देशों में अलग-अलग संस्कृतियां हैं। राष्ट्रीय त्योहार किसी देश की सबसे अच्छी सांस्कृतिक उपलब्धियों और सबसे महत्वपूर्ण रिवाजों का प्रतिनिधित्व करता है। त्योहार एक सांस्कृतिक घटना है और संस्कृतियों के अध्ययन के लिए एक शक्तिशाली उपकरण भी है। त्योहार को संस्कृति का वाहक माना जाता है। त्योहार किसी देश, समाज और संस्कृतियों के व्यवहार और विचारों का प्रतिबिम्बन माना जाता है।
त्योहारों से लोग संस्कार सीखते हैं, बनाते हैं और साझा करते हैं। इस अद्वितीय और विशिष्ट घटना के माध्यम से हम मानव संस्कृति की गहरी परत की जांच सुविधाजनक और प्रत्यक्ष तरीके से कर सकते है। इसके अलावा एक त्योहार हमें दो संस्कृतियों की विचलन और समानता का पता लगाने के लिए एक आधार प्रदान करता है।
जैसा कि ज्ञात है त्योहार हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक सांस्कृतिक घटना के रूप में त्योहार मानव विकास और ऐतिहासिक विकास के दौरान अस्तित्व में आता है। इस अनूठी सांस्कृतिक घटना से मानव परिवेश और प्राकृतिक परिवेश और परिधीय परिवेश को ध्यान में रखते हुए मानव संस्कृतियों के गुण और नियम संधारित होते हैं और मानव संस्कृति और त्योहारों के बीच के रिश्ते का पता चला है। भारतीय और पश्चिमी देशों के बीच त्योहार भावनात्मक अभिव्यक्तियों के रूप में अलग होते हैं।
भारतीय त्योहार अपने वास्तविक विचारों को प्रदर्शित करते हैं जबकि पश्चिमी लोग हमेशा अपने दिमाग को स्वतंत्र रूप से प्रकट करते हैं। त्योहारों का महत्व समाज और राष्ट्र की एकता,समृद्धि, प्रेम, मेल-मिलाप की दृष्टि से है और सांप्रदायिकता एकता, धार्मिक समन्वय, सामाजिक समानता को प्रदर्शित करना है। भारतीय त्योहार समय-समय पर घटित होकर हमारे अंदर आत्मीयता और राष्ट्रीयता उत्पन्न करते रहते हैं। जातीय भेद-भावना और संकीर्णता के धुंध को ये त्योहार अपने अपार उल्लास और आनंद के द्वारा छिन्न-भिन्न कर देते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि ये त्योहार अपने जन्मकाल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विकता की भावना को संजोए हुए हैं। युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप इन त्योहारों के लिए कोई प्रभाव नहीं डाल सका।
भारतीय त्योहार पश्चिमी त्योहारों से अलग हैं। अधिकांश भारतीय त्योहार प्राचीन मिथकों से आते हैं लेकिन इनका धर्म से अटूट संबंध है। प्राचीन समय में अलग-अलग इलाकों में एक-दूसरे के साथ संचार का मौका, असुविधाजनक परिवहन के कारण राष्ट्रों में कम अनुबंध थे इसलिए संस्कृतियां पूरी तरह से अलग थीं। इन संस्कृतियों को प्रदर्शित और इनके विस्तार में त्योहारों का महत्वपूर्ण योगदान है। पश्चिमी त्योहारों का मूल सृजन व्यक्तिवाद के आनंद के लिए हुआ है। पश्चिमी विश्व में व्यक्ति प्रमुख है, समाज या परिवार उसके बाद है और इस बात का परिलक्षण वहां के त्योहारों एवं रीति-रिवाजों में स्पष्ट दिखाई देता है।
भारत में त्योहार दैनिक जीवन का एक हिस्सा है। उत्सव के दौरान विशेष और रंगीन क्रिय-कलाप राष्ट्रीय संस्कृति के सबसे प्रमुख और प्रतिनिधि पहलुओं को संरक्षित करते हैं। यद्यपि त्योहारों के रूप एक-दूसरे से अलग होते हैं। वे सभी प्राचीन रीति-रिवाजों, रिश्तों व ज्ञान अनुभव या एक खजाने लिए खड़े होते हैं इसलिए हम देश या राष्ट्र में त्योहारों की समझ के माध्यम से संस्कृति समझ सकते हैं। त्योहार कुछ राष्ट्र से संबंधित हैं और सभी इंसानों के भी हैं। विभिन्न मूल पृष्ठभूमि और सामाजिक संरचनाओं के बावजूद मानव हमेशा आनंद और खुशी के इजहार के लिए त्योहारों का आश्रय प्राचीनकाल से लेता आ रहा है।
हमारा शिष्टाचार एक दूसरे के साथ संवाद करने का तरीका आदि हमारी संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक हैं। हालांकि हमने जीवन के आधुनिक साधनों को स्वीकार कर लिया है। हमारी जीवनशैली में सुधार किया है। हमारे मूल्यों और विश्वास अभी भी अपरिवर्तित हैं। कोई व्यक्ति अपने कपड़े, खाने और रहने के तरीके को बदल सकता है लेकिन किसी व्यक्ति के समृद्ध मूल्य हमेशा अपरिवर्तित रहते हैं क्योंकि वे हमारे दिल, मन, शरीर और आत्मा के भीतर गहराई से जुड़ें हैं जो हम अपनी संस्कृति से प्राप्त करते हैं।
भारतीय संस्कृति ने पश्चिमी दुनिया को भी प्रभावित किया है। दुनिया सिकुड़ रही है और हम सभी कई तरीकों से एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। पश्चिमी संस्कृति ने समाज के लगभग हर आयाम को प्रभावित किया है। किंतु मुख्य धार्मिक परंपराएं अभी भी समान हैं। हां ये बात जरूर है कि पश्चिमी संस्कृति के कारण भारतीय जीवनशैली में अंतर आया है। हम यह कह सकते हैं कि पश्चिमी संस्कृति ने भारतीय समाज की प्रमुख परंपराओं पर असर नहीं डालाए बल्कि जीवनशैली और समाज की स्पष्ट विशेषताएं बदल दी हैं।