त्योहार क्यों महत्वपूर्ण हैं? *
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स्वभाव से ही मनुष्य उत्सव-प्रिय है, पर्व हमारे जीवन में उत्साह, उल्लास व उमंग की पूर्ति करते हैं। बुन्देलखण्ड के पर्वों की अपनी ऐतिहासिकता है। उनका पौराणिक व आध्यात्मिक महत्व है और ये हमारी संस्कृतिक विरासत के अंग हैं। कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण त्यौहारों का विवेचन किया जा रहा है।
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स्वभाव से ही मनुष्य उत्सव-प्रिय है, पर्व हमारे जीवन में उत्साह, उल्लास व उमंग की पूर्ति करते हैं। बुन्देलखण्ड के पर्वों की अपनी ऐतिहासिकता है। उनका पौराणिक व आध्यात्मिक महत्व है और ये हमारी संस्कृतिक विरासत के अंग हैं। कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण त्यौहारों का विवेचन किया जा रहा है।
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नौरात्रि
क्वाँर माह की कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से शुरु होकर नौ दिन की विशेष पूजा होती है। बुन्देलखण्ड में नौ दिनों तक सुबह नौरता (सुबटा) खेलती हैं। यह त्यौहार भी लड़कियों का विशेष त्यौहार है। इसमें लड़कियाँ चबूतरों पर तरह-तरह की अल्पना बना गीत गाती हैं। यह बुन्देलखण्ड का महत्वपूर्ण त्यौहार है।
दशहरा
यह त्यौहार भी आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। कहा जाता है कि दशमी तिथि को संध्या के समय जब आकाश में तारे निकलते हैं तो “”विजय”” नाम मुहूर्त होता है। इस मुहूर्त मे शुरु किया गया कार्य सिद्ध होता है। आज के दिन श्रीराम ने रावण पर विजय पाने का अभियान किया था। आज के दिन सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड में नीलकंठ पक्षी के दर्शन एवं मछलियों को देखना शुभ मानते हैं।
शरद पूर्णिमा
आश्विन महीने की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन से ही बुन्देलखण्ड में कीर्तिक स्नान शुरु हो जाता है। पुराणों के अनुसार चन्द्रमा में अमृत का वास होता है और शरद पूर्णिमा की रात को यही अमृत पृथ्वी पवर बरसता हैं जो व्यक्ति इन किरणों में आनन्द उठाता है, उसे संजीवनी शक्ति प्राप्त होती है। शरद पूर्णिमा को खीर बनाकर चन्द्रमा को भोग लगाकर रात को पूरी रात खुली चाँदनी में खुली रख देना चाहिए। इस खीर को खाने से अनेक रोग और व्याधियाँ दूर होती हैं।
धनतेरस
कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहते हैं। आज के दिन घर के द्वार पर एक दीपक जलाकर रखा जाता है। आज के दिन नये बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन यमराज और भगवान धनवन्तरि की पूजा का महत्व है। नरक-चउदस- कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को ही नरक चतुर्दशी कहते हैं वैसे इस दिन को “छोटी दीवाली” भी कहते हैं। आज ही के दिन अर्द्धरात्रि को हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए आज ही के दिन हनुमान जयन्ती भी मनायी जाती है।
दिवाली
कार्तिक मास की अमावस्या को “दीपावली” का पर्व मनाया जाता है। आज का दिन उत्साह, उल्लास, पवित्रता एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन व सभी स्थानों पवर दियों का उजाला किया जाता है। घर में नये वस्र, अन्न, फल, मिठाई, मेवा सभी का प्रसाद लगाया जाता है।
सभी त्यौहार और पर्व बड़ी श्रद्धा विश्वास के साथ मनाये जाते हैं, जिनमें किसी न किसी उद्देश्य की भावना अवश्य छिपी रहीत है। चाहे पापों का प्रायश्चित हो, धार्मिक सामाजिक स्नेह, बन्धन की कामना, सुखी जीवन व सौभाग्य की कामना, सुखी जीवन व सौभाग्य की कामना हो, सम्पूर्ण अकांक्षायें इन पर्वों में विद्यमान हैं।