त्योहारों से हमे क्या संदेश मिलता हैं, किसी एक त्योहार के विषय में लिखे व चित्र भी लगाए ?
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तू मोहब्बत नहीं इबादत है मेरी,
तू जरुरत नहीं जीने की आदत है मेरी,
बन गया हूँ तेरी यादों का कैदी,
अब तो बस तू ही जमानत है मेरी।
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