तब याद तुम्हारी आती है कविता के प्रश्न किन-किन प्रकृति दृश्य को देखकर कवि को ईश्वर की याद आती है?
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¿ तब याद तुम्हारी आती है कविता के प्रश्न किन-किन प्रकृति दृश्य को देखकर कवि को ईश्वर की याद आती है ?
✎... ‘जब याद तुम्हारी आती है’ कविता में कवि को सुबह-सुबह प्रकृति के अनेक दृश्य देखकर ईश्वर की याद आने लगती है। जब वह सुबह-सुबह चिड़ियों को उठकर खुशी के गीत गाते देता है, कलियों को खिलते देता है और फूलों की सुगंध को महसूस करता है, कवि को ईश्वर की याद आने लगती है। जब ठंडी-ठंडी हवा चलने लगती है, तो कवि को ईश्वर की याद आने लगती है। जब रात को आसमान में तारे जगमगाते हैं और चंद्रमा अपनी दूधिया चमक बिखेरना लगता है, तब कवि को ईश्वर की याद आने लगती है।
जब हरी-हरी घास पर ओस की बूंदे मोतियों के जैसी दिखाई पड़ती है, तब कवि को ईश्वर की याद आने लगती है, जब बारिश में छम-छम करती हुई बूंदे धरती पर गिरी हैं, जब आसमान में बिजली चमचमाती है, मैदान और बाग बगीचों में हरियाली ही हरियाली नजर आती है, तब कवि को ईश्वर की याद आती है। जब झरने झर्झर करते हुए बहते हैं और नदियां मस्त होकर बहती चली जाती हैं और सागर से जाकर मिल जाती हैं, सागर में उठती ज्वार भाटा की लहरें देखकर कवि को ईश्वर की याद आने लगती है।
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