तड्दिनं नातिदूरम् यदा वयम् हस्ते एकमात्रं चलदूरभाषयन्त्रमादाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्थाः भविष्यामः। वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भविष्यति। ‘पासबुक’ चैबुक’ इत्यनयोः आवश्यकता न भविष्यति। पठनार्थं पुस्तकानां समाचारपत्राणाम् अनिवार्यता समाप्तप्राया भविष्यति। लेखनार्थम् अभ्यासपुस्तिकायाः कर्गदस्य वा, नूतनज्ञानान्वेषणार्थम् शब्दकोशस्यवाऽपि आवश्यकतापि न भविष्यति। अपरिचित-मार्गस्य ज्ञानार्थम् मार्गदर्शकस्य मानचित्रस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः अपि न भविष्यति। एतत् सर्वं एकेनैव यन्त्रेण कर्तुम्, शक्यते। शाकादिक्रयार्थम्, फलक्रयार्थम्, विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं कर्तुम् चिकित्सालये शुल्क प्रदातुम्, विद्यालये महाविद्यालये चापि शुल्क प्रदातुम् , कि बहुना दानमपि दातुम् चलदूरभाषयन्त्रमेव अलम्। डिजीभारतम् इति अस्यां दिशि वयं भारतीयाः द्रुतगत्या अग्रेसरामः।
शब्दार्थ : तदिनम्-वह दिन। साधायितुम्-सिद्ध (सफल) करने के लिए। समर्थाः-समर्थ होंगे। वस्त्रपुटके-जेब में। अनयोः-इन (दोनों) की। पठनार्थम्-पढ़ने के लिए। समाप्तप्राया-लगभग समाप्त। लेखनार्थम्-लिखने के लिए। अभ्यासपुस्तिकायाः-कॉपी की। कर्गदस्य-कागज़ की। नूतनज्ञान-अन्वेषणार्थम्-नए ज्ञान की खोज के लिए। शब्दकोषस्य-शब्दकोष की। वा-अथवा। ज्ञानार्थम्-ज्ञान के लिए। मार्गदर्शकस्य-मार्गदर्शक (गाइड) की। आवश्यकतायाः–ज़रूरत की। अनुभूतिः-अनुभूति (अनुभव)। एकेन एव-एक से ही। शक्यते-सकता है। कक्षम्-कमरे को। सुनिश्चितम्-निश्चित (आरक्षित) (Reservation)। प्रदातुम्-देने के लिए। दिशि-दिशा में। द्रुतगत्या-तेज गति से। अग्रेसरामः-आगे बढ़ रहे हैं।
सरलार्थ : वह दिन बहुत दूर नहीं है जब हम हाथ में केवल एक मोबाइल फ़ोन लेकर सारे काम करने में समर्थ होंगे। जेब में रुपयों की ज़रूरत नहीं होगी। ‘पास बुक और चेक बुक’ इन दोनों की भी ज़रूरत नहीं होगी। पढ़ने के लिए पुस्तकों और अखबारों की अनिवार्यता (निश्चितता) लगभग समाप्त हो जाएगी। लिखने के लिए अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) अथवा कागज़ की, नए ज्ञान की खोज के लिए शब्दकोष की भी आवश्यकता नहीं होगी। अपरिचित मार्ग के ज्ञान के लिए मार्गदर्शक (Guide) की, मानचित्र (नक्शे) की आवश्यकता की अनुभूति भी नहीं होगी। यह सब एक ही यंत्र (मशीन) से किया जा सकता है। सब्जियों आदि की खरीददारी के लिए, फलों की खरीददारी के लिए, गेस्ट हाउस (होटल) में कमरे की बुकिंग के लिए, अस्पताल में फीस देने के लिए, विद्यालय और महाविद्यालय में भी फीस देने के लिए, बहुत कहने से क्या दान भी देने के लिए मोबाइल फ़ोन की मशीन ही काफी है।
डिजीटल भारत (डिजीटल इण्डिया) इस दिशा में हम भारतीय तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
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