tajmahal: shajahan,humayun ka makbara
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ताजमहल का अक्श और उसी रूहानी प्रेम ने हुमायूं के मकबरे को जन्म दिया। शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल बनाया तो हुमायूं की याद में उनकी बेगम ने ही अपने शौहर के लिए हुमायूं का मकबरा बना दिया।
ताजमहल जिस चारबाग शैली में बना है उसी शैली की पहली इमारत हुमायूं का मकबरा है। और शायद इसी की खूबसूरती से मुग्ध होकर शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण करवाया। इसकी खूबसूरती के बारे में इसी से समझा जा सकता है कि जब भारत में ओबामा पहली बार आए तो उन्होंने ताजमहल देखने की बजाए हुमायूं का मकबरा देखना ज्यादा मुनासिब समझा।
इसका निर्माण हुमायूं की मौत के 9 साल बाद 1565 में हुआ था। उनकी विधवा बेगम हमीदा बानो ने इसे बनवाया। इसके निर्माण में 9 साल लंबा वक्त लगा। लाल बलुआ पत्थर पर संगमरमर की कारीगरी यहां बहुत खूबसूरत लगती है। इसके निर्माण पर उस समय डेढ़ लाख रुपए लगे थे। यूनेस्को ने 1993 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था।
अफगानिस्तान के शिल्पकार सैयद मुबारक इब्न मिराक घियाशुद्दीन और उनके पिता मिराक घियाशुद्दीन ने इस इमारत को बिल्कुल अलग रूप देने दिया, जिसकी खूब सराहना हुई। आज से 500 साल पहले दिल्ली के इस इलाके से यमुना गुजरती थी और पास में ही सूफी संत हजरत निजामुद्दीन रहते थे, जिन्हें दिल्ली के शासक बहुत सम्मान देते थे। इस कारण इस मकबरे का निर्माण यहां किया गया था।
चारबाग शैली के इस मकबरे के चारों ओर बेहद खूबसूरत उद्यानों का निर्माण किया गया था। इसके बाद तो इस शैली व ऐसे उद्यानों का अनेक इमारतों में इस्तेमाल किया गया, पर ताजमहल के निर्माण के बाद यह शैली काफी लोकप्रिय हुई। लगभग 30 एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर में और भी स्मारक हैं, लेकिन मुख्य स्मारक हुमायूं का है।
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