टके सेर भाजी टके सेर खाजा इस मुहावरे का अर्थ
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टके सेर भाजी टके सेर खाजा. अर्थ - जिस जगह का मुखिया (राजा-मालिक) ही मूर्ख हो, तो वहाँ पर हमेशा अन्याय होता ही रहेगा. और किसी भी चीज़ का कोई मूल्य नहीं होगा.
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