टकराते हैं इससे बादल, तो खुद पानी हो जाते हैं तूफान चले आते हैं, तो ठोकर खाकर सो जाते हैं जब जब जनता को विपदा दी तब तब निकले लाखों गाँधी तलवारों सी टूटी आँधी इसकी छाया में तूफान, चिरागों से शरमाता है गिरिराज, हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है का अर्थ स्पष्ठ करो
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टकराते हैं इससे बादल, तो खुद पानी हो जाते हैं।
तूफान चले आते हैं, तो ठोकर खाकर सो जाते हैं।।
जब जब जनता को विपदा दी तब तब निकले लाखों गाँधी।
तलवारों सी टूटी आँधी।
इसकी छाया में तूफान, चिरागों से शरमाता है।
गिरिराज, हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।
भावार्थ — इन पंक्तियों में कवि ने हिमालय का भारत के लिये महत्व बताया है। हिमालय पर्वत श्रंखला भारत का गौरव है जो दुश्मनों से हमारी रक्षा करता है। भारत देश एक पवित्र भूमि है और भारत हिमालय का मस्तक है। इससे टकराकर विरोधी पस्त हो जाते हैं। जब-जब भारत पर विपदा आई है तो गाँधी के रूप में भारत की रक्षा करने के लिये कोई न कोई उठ खड़ा होता है। ऐसे ही सैकड़ो गाँधी तलवार बनकर दुश्मन पर कहर टूट पड़ते हैं। हिमालय की नाता भारत से कुछ ऐसा ही नाता है। ये सदैव रक्षक बनकर शत्रुओं से भारतभूमि का रक्षा करता रहा है। शत्रु भी इससे टकराने से पहले हजार बार सोचता है और टकराता है तो चूर-चूर हो जाता है।
Answer:
Iske prashn Uttar ine panktiyan Mein Kiska gungan Kiya gaya hai