talim ke visay me bade bhai sahab ke vicharon ke bare me tippany karen kya aap unke udaharan ko apna aadarsh bana sakten hain
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Bade Bhai Sahab Class 10 Hindi Lesson Explanation, Summary, Question Answers - बड़े भाई साहब
Bade Bhai Sahab (बड़े भाई साहब) Explanation, Summary, Question and Answers and Difficult word meaning
Bade Bhai Sahab (बड़े भाई साहब) - CBSE Class 10 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson 'Bade Bhai Sahab' along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson.
Bade Bhai Sahab Class 10 Hindi Chapter - कक्षा 10 हिंदी पाठ 10 बड़े भाई साहब
Author Introduction - लेखक परिचय
लेखक - प्रेमचंद
जन्म - 13 जुलाई 1880 ( बनारस - लमही गांव )
मृत्यु - 8 अक्टूबर 1936
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Bade Bhai Sahab Chapter Introduction - पाठ प्रवेश
अभी तुम छोटे हो इसलिए इस काम में हाथ मत डालो अर्थात यह काम मत करो। ऐसा सुनते ही बच्चों के मन में आता है कि काश हम बड़े होते,तो कोई हमें इस तरह नहीं टोकता। लेकिन आप ये मत सोच लेना कि बड़े होने से आपको कुछ भी करने का अधिकार मिल जाता है। घर के बड़े को कई बार वो काम करने से भी पीछे हटना पड़ता है जो उसकी उम्र के दूसरे लड़के बिना सोचे समझे करते हैं क्योंकि वो अपने घर में बड़े नहीं होते।
प्रस्तुत पाठ में भी एक बड़े भाई साहब हैं जो हैं तो छोटे ही परन्तु उनसे छोटा भी एक भाई है। वे उससे कुछ ही साल बड़े हैं परन्तु उनसे बड़ी बड़ी आशाएं की जाती हैं। बड़े होने के कारण वे खुद भी यही चाहते हैं कि वे जो भी करें छोटे भाई के लिए प्रेरणा दायक हो। इस आदर्श स्थिति को बनाये रखने के कारण बड़े भाई साहब का बचपन अदृश्य अर्थात नष्ट हो गया।
Bade Bhai Sahab Chapter Explanation - पाठ व्याख्या
मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े ,लेकिन केवल तीन दर्जे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था ,जब मैने शुरू किया लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दबाज़ी से काम लेना पसन्द ना करते थे। इस भवन की बुनियाद बहुत मजबूत डालना चाहते थे ,जिस पर आलीशान महल बन सके।एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी कभी तीन साल भी लग जाते थे बुनियाद ही पुख्ता न हो,तो मकान कैसे पायेदार बने।
(लेखक अपने बड़े भाई साहब के बारे में बता रहा है कि वे पढ़ाई को कितना अधिक महत्व देते थे)
दर्जा - कक्षा
तालीम - शिक्षा
बुनियाद - नींव
आलीशान - बहुत सुन्दर
पुख्ता - सही
पायेदार - ऐसी वस्तु जिसके पैर हो ,मज़बूत
लेखक कह रहा है कि उसके भाई साहब उससे पाँच साल बड़े हैं ,परन्तु तीन ही कक्षा आगे पढ़ते हैं। पढ़ाई करना उन्होंने भी उसी उम्र में शुरू किया था जिस उम्र में लेखक ने किया था। परन्तु शिक्षा जैसे कार्य में बड़े भाई साहब कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते थे। वे अपनी शिक्षा की नींव मज़बूती से डालना चाहते थे ताकि वे आगे चल कर अच्छा मुकाम हासिल कर सकें। वे हर कक्षा में एक साल की जगह दो साल लगाते थे और कभी कभी तो तीन साल भी लगा देते थे। उनका मानना था की अगर हम घर की नींव ही सही नहीं डालेंगे तो मजबूत मकान कैसे बनेगा। अर्थात अगर हम शिक्षा के पहलुओं को अच्छे से नहीं समझेंगे तो अपना भविष्य सुन्दर कैसे बनाएंगे।
मैं छोटा था ,वे बड़े थे। मेरी उम्र नौ साल की थी और वह चौदह साल के थे। उन्हें मेरी तम्बीह और निगरानी का पूरा और जन्मसिद्ध अधिकार था और मेरी शालीनता इसी में थी कि उनके हुक्म को कानून समझूँ।
तम्बीह - डाँट -डपट
निगरानी - देखरेख
जन्मसिद्ध - जन्म से ही प्राप्त
शालीनता - समझदारी
हुक्म - आज्ञा,आदेश
लेखक कह रहा है की भाई साहब बड़े थे और वह छोटा था।उसकी उम्र नौ साल की थी और भाई साहब चौदह साल के थे।बड़े होने के कारण उनके पास उसे डाँटने -फटकारने और उसकी देखभाल करने का अधिकार जन्म से ही प्राप्त था। लेखक की समझदारी इसी में थी कि वह उनके हर आदेश को कानून समझें और हर आज्ञा का पालन करें ।
वह स्वभाव से बड़े अध्ययनशील थे। हरदम किताब खोले बैठे रहते और शायद दिमाग को आराम देने के लिए कभी कॉपी पर ,किताब के हाशियों पर चिड़ियों ,कुत्तों ,बिल्लियों की तस्वीरें बनाया करते थे। कभी कभी एक ही नाम या शब्द या वाक्य दस -बीस बार लिख डालते। कभी एक शेर को बार बार सुन्दर अक्षरों में नक़ल करते। कभी ऐसी शब्द -रचना करते, जिसमे न कोई अर्थ होता, न कोई सामंजस्य।
अध्ययनशील - पढ़ाई को महत्त्व देने वाला
हाशियों - किनारों
सामंजस्य - ताल मेल
लेखक बता रहा है कि उसके बड़े भाई साहब पढ़ाई को महत्त्व देने वाले थे। वे हर वक्त किताब खोल कर बैठे रहते थे और शायद जब वे पढ़ कर थक जाते थे तब किताबों और कॉपियों के किनारों पर कु
Answer:
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
Explanation:
बड़े भाई साहब तालीम के खिलाफ़ नहीं है। वह खिलाफ़ हैं, पढ़ाने के तरीके पर। उनका तालीम के विषय में यही विचार है कि बच्चों को इस प्रकार का कार्य न दिया जाए, जिससे उनकी जिज्ञासा बड़े। वे बच्चों पर पढ़ाई के नाम पर डाले गए दबाव के खिलाफ़ हैं। बड़े भाई यदि तालीम के खिलाफ़ होते, तो अपने भाई को पढ़ने के लिए मजबूर नहीं करते। वह तालीम के समर्थक हैं इसलिए वह भाई को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।