तम नयनों की ताराएँ सब
मुंद रही किरण दल में है सब
चल रहा सुखद यह मलय-वात
अब जागो जीवन के प्रभात!
(क) 'तम नयनों की ताराएँ' क्या अर्थ है?
(ख) मलय-वात सुखद क्यों है?
(ग) कवि ने जीवन का प्रभात किसे कहा है?
(घ) इस कविता के रचयिता कौन है?
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प्रसंग: कवि ने रात्रि बीत जाने पर नवजीवन के प्रभात का वर्णन किया है। रात्रि के तारे, आँखों को अन्धकार विलुप्त होकर प्रकाश की किरणों के समूह में मुँद गए हैं और प्रातः की शीतल, मन्द और सुगन्ध वाली मलय समीर चल रही है। इस प्रभात बेला में जाग उठो और नवजीवन में सक्रिय हो जाओ।
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पद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर :
- ( क) तम नयनों की ताराएं का अर्थ है अंधकार रूपी आंखों की पुतलियां।
- ( ख) मलय वात सुखद है क्योंकि अंधकार भरी रात के बाद प्रात: काल हो गई है। बर्फ तथा ओस रूपी दुख के कारण चले गए है।
- सुखद हवाएं चल रही है।
- ( ग) कवि ने जीवन का प्रभात अपने आप में नई आशा जगाने को कहा है। यह कविता तब लिखी गई थी जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था। कवि ने लोगो ने नई चेतना जागृत करने के लिए यह कविता लिखी थी।
- ( घ) इस कविता के रचयिता है जय शंकर प्रसाद जी।
- यह पद्यांश जागो जीवन के प्रभात कविता से लिया गया है। कवि जय शंकर प्रसाद ने यह कविता लोगों में एक नई आशा जगाने के लिए किया है।
- उस समय हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था। सभी लोगो में फिर से आजादी पाने की उम्मीद थी।
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