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सफ़िया ने हैंडबैग मेज़ पर रख दिया और नमक की पुड़िया निकालकर उनके
सामने रख दी और फिर आहिस्ता-आहिस्ता रुक-रुक कर उनको सब कुछ बता दिया।
उन्होंने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ़ सरकाना शुरू किया। जब सफ़िया की
बात खत्म हो गई तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों में उठाया, अच्छी तरह लपेटा और
खुद सफ़िया के बैग में रख दिया। बैग सफ़िया को देते हुए बोले, "मुहब्बत तो कस्टम
से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।"
वह चलने लगी तो वे भी खड़े हो गए और कहने लगे, 'जामा मस्जिद की
सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से
कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ्ता-
रफ्ता ठीक हो जाएगा।"
(क) कहानी में नमक की पुड़िया इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई है?
(ख) सफ़िया ने कस्टम अफसर को इस पुड़िया के बारे में क्या बताया होगा?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-
'मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।"
NM-34A
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