तन्हाई सी थी दुनिया की भीड़ में,
सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में,
एक दिन जब दोस्ती की आप से तो यूँ लगा,
कुछ ख़ास था मेरे हाथ की लकीर में।
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मेहनत के आगे हाथ के लकीरें भी काम ने आती ,
जब भी होता हु मुसीबत में हर पल मां के दुआ काम आती है ।
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