Hindi, asked by varuni61, 7 months ago

"तन मन सेज जरै अगि दाहू। सब कँह चंद भयउ मोहि राहू।
चहू खंड लागे अँधियारा। जो घर नाहीं कंत पियारा।।" meaning of this in hindi???​

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Answer:

इस छन्द में जायसी ने विरहिणी नागमती के विरह का वर्णन किया है यहाँ पर विभाव – अनुभाव आदि इस प्रकार हैं –

स्थायी भाव- रति, आश्रय नागमति, आलम्बन -रतनसेन, उदीपन विभाव – सेज चन्द्रमा, संचारी भाव -स्मृति, चपलता, आवेग, उन्माद, विषाद, दैन्य आदि हैं इनके संयोग से विप्रलम्ब शृंगार रस के निम्न लिखित स्थायी भाव, अनुभाव और संचारी भाव होते हैं-

स्थायी भाव – रति

आलम्बन – नायिका

आश्रय – प्रेमी (नायक)

उद्दीपन – संयोग में रूप – दर्शन, वियोग में स्मृति,

अनुभाव – चुम्बन (संयोग में), क्रोध, शंका, चिन्ता आदि (वियोग में)

उदाहरण- मेरो सब पुरूषारथ थाको।

विपत्ति बँटावन बन्धु बाहु बिन, करौ भरोसौं काको।।

सुनु सुग्रीव सांचेहु मोपर, फेरयो बदन विधाता।

ऐसे समय समर संकट हौं, तज्यो लखन सो भ्राता।।

Explanation:

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Answered by deepak13157
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Answer:

इस छंद मे वियोग श्रृंगार है

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