Hindi, asked by gulzarrabegum, 2 months ago

तन, मन व आत्मा से जो मजबूत होता है, सफलता उसके कदम चूमती है।
शक्ति के लिए शारीरिक तंदुरुस्ती चाहिए, निश्चित परिस्थिति में समय पर अपना
प्रदर्शन करने के लिए मानसिक सन्तुलन चाहिए व मूल्यों के अनुरूप जीने हेतु
आत्म-बल चाहिए। इन तीनों ही प्रकार की क्षमताओं का दूसरा नाम ही 'विल्मा
ग्लोडियन रुडाल्फ' है।
अमेरिका के टेनेसी प्रान्त में एक रेलवे मज़दूर के घर में 23 जून, 1940 में
विल्मा ने जन्म लिया, जिसकी माँ घर-घर जाकर झाडू-पोछा लगाती थी। वह नौ
वर्ष तक ज़मीन पर कभी पाँव रख कर नहीं चल सकी, क्योंकि उसको चार वर्ष की
उम्र में पोलियो हो गया था। तब से वह बैसाखियों के सहारे चलती थी। डॉक्टरों ने
जवाब दे दिया था कि वह कभी भी
जमीन पर अपने कदम सीधे नहीं रख
पायेगी।
उसकी माँ बड़ी धर्मपरायण,
सकारात्मक मनोवृत्ति वाली साहसी महिला
थी। माँ की आदर्शवादी बातें सुन कर
विल्मा ने कहा, "माँ, मैं क्या कर सकती
हूँ जबकि मैं चल ही नहीं पाती हूँ?"
"मेरी बेटी, तुम जो चाहो प्राप्त कर सकती
हो।" माँ ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
"क्या मैं दुनिया की सबसे तेज धावक बन
सकती हूँ?", विल्मा ने तुरंत प्रश्न किया।
"क्यों नहीं मेरी बेटी, मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है।'', माँ ने दृढ़ विश्वास के साथ कहा।
"कैसे? जबकि डॉक्टरों के अनुसार मेरे लिए चल पाना संभव नहीं है।", विल्मा ने
करुण स्वर में कहा।
"ईश्वर में विश्वास, स्वयं पर भरोसा, मेहनत और लगन से तुम जो चाहो वह प्राप्त
कर सकती हो।', माँ ने यह कहते हुए उसे गोद में उठा लिया।
माँ की प्रेरणा व हिम्मत से 9 वर्ष की विल्मा ने बैसाखियाँ उतार फेंकी व
चलना प्रारम्भ किया। अचानक बैसाखियाँ उतार देने के बाद चलने के प्रयास में कई
बार जख्मी होती रही, दर्द झेलती रही, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कोई
सहारा नहीं लिया। आखिरकार एक साल के बाद वह बिना बैसाखियों के चलने में
कामयाब हो गयी। इस प्रकार आठवीं कक्षा में आते-आते उसने अपनी पहली दौड़
प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और वह सबसे पीछे रही। उसके बाद दूसरी, तीसरी,

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Answered by PALAK13227
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Answer:

मन्जुषाया: शब्दाना सहायतया चित्रस्य वर्णनं संस्कृते पंचवाक्येषु कुरुत-

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