तनकोलो िैर्कयावली अपनेग्रंथ द वप्रंस के 15 अध्याय िेंिनुष्य केस्वभाव के बारेिेंमलखिेहैं_काल्पतनक बािों को
यदद अलग कर देंऔर के वल उन्हींववषयों केबारेिेंसोचेंिो वास्िव िेंहैिैंयह कहिा हूंकक िब भी िनुष्यों केबारे
िेंचचाधहोिी है(ववशेषकर रािकुिारों केबारेिेंिो िनिा की निर िेंरहिेहैं) िो उनिेंअनेक गुण देखेिािेहैं
जिनकेकारण िेंप्रशंसा तन ंदा केयोग्य बनेहैंउदाहरण केमलए कुछ को दानी िाना िािा हैऔर अन्य को कंिूस कुछ
लोगों को दहिैषी िाना िािा हैिो अन्य को लोभी कहा िािा हैकुछ तनदधयी िो कुछ दयालुएक व्यजर्कि ववश्वसनीय
और दसू रा अववश्वसनीय एक व्यजर्कि को पौरुषहीन और कायर दसू रा खूंखार और साहसी एक व्यजर्कि मशष्ट और
दसू रा घिंडी एक व्यजर्कि का कािुक दसू रा पववत्र एक तनषकपट दसू रा चालाक एक ॶडडयल दसू रा लचीला एक गंभीर
दसू रा तछछोरा एक र्ामिधक दसू रा संदेही इत्यादद िैंर्कया वेयह िानिेथेकक सभी िनुष्य बुरेहैंऔर वेअपनेदष्ुट
स्वभाव को प्रदमशधि करनेिेंसदैव ित्पर रहिेहैंर्कयोंकक कुछ हद िक िनुष्य की इच्छाएंपूणधरह िािी हैंिैंनेदेखा
कक इसकेपीछेप्रिुख कारण हैकक िनुष्य अपनेसिस्ि कायों िेंअपना स्वाथधदेखिा है।
1) तनकोलो िैर्कयावली की पुस्िक का नाि बिाएं। 1
2)उनकेद्वारा िनुष्य िेंपाए िानेवाली चार ववरोर्ाभासी गुणों केबारेिेंबिाइए। 2
3) िैर्कयावली केअनुसार सभी िनुष्य स्वभाव सेबुरेर्कयों होिेहैं? 2
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