Hindi, asked by alphabets, 1 year ago

तनकर भाला यूँ बोल उठा, राणा मुझको विश्राम न दे | मुझको बैरी से हृदय- क्षोभ तू तनिक मुझे आराम न दे ||

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Answered by bhatiamona
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तनकर भाला यूँ बोल उठा, राणा मुझको विश्राम न दे | मुझको बैरी से हृदय- क्षोभ तू तनिक मुझे आराम न दे ||

यह पंक्तियां श्याम नारायण पांडे द्वारा रचित कविता ली गई हैं। इस कविता में श्याम नारायण पांडे ने महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक की अद्भुत वीरता का वर्णन किया है। जब अकबर ने महाराणा प्रताप के राज्य पर आक्रमण कर दिया था और अपने दंभ एवं अभिमान में चूर होकर वह महाराणा प्रताप से लड़ने का दुस्साहस कर बैठा, तब महाराणा प्रताप वीरता पूर्वक अकबर और उसकी सेना से लड़े।

इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है...

भावार्थ — जब महाराणा प्रताप युद्धक्षेत्र में अकबर और उसकी सेना से लड़ रहे थे तो उन का घोड़ा चेतक और यहां तक कि उनके अस्त्र-शस्त्र भी उनके प्रति नतमस्तक थे। उन का घोड़ा चेतक महाराणा प्रताप का भरपूर साथ दे रहा था। एक प्रतीक के तौर पर कवि कहता है कि महाराणा प्रताप की वीरता को देखकर उनका भाला भी महाराणा प्रताप को पुकार उठा और कहने लगा कि हे वीर! तुम तनिक भी चिंता ना करो और शत्रु का मान मर्दन करने में मेरी पूरी तरह सहायता लो। तुम मुझे शत्रु के सीने को भेदने में तनिक भी विलंब ना करो। तुम मेरे विश्राम की चिंता ना करो और मुझे जरा भी आराम ना देकर शत्रु की छातियों को मुझसे बेधते रहो।

Answered by rudra251206
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VEER RAS..IS THERE IN THIS

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