Science, asked by muskanbandewar3, 15 days ago

tantuo का वर्गीकरण कीजिए

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Answered by jidnyasachorge
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Answer:

तंतु (रेशा) दो प्रकार का होता है, प्राकृतिक तंतु (रेशा) और संश्लिष्ट तंतु (रेशा) या बनाबटी तंतु (रेशा)। ... प्राकृतिक रूप से प्राप्त तंतु या रेशों को प्राकृतिक तंतु या रेशा कहा जाता है। जैसे कपास (रूई), रेशम, ऊन, जूट (पटसन) आदि।

Answered by hemantsuts012
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Concept:

यह तंतु या रेशा ही है जिससे वस्त्र बनाया जाता है|

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तंतु का वर्गीकरण कीजिए

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तंतु का वर्गीकरण कीजिए

Explanation:

तंतु (रेशा) दो प्रकार का होता है,

1. प्राकृतिक तंतु (रेशा) और

2. संश्लिष्ट तंतु (रेशा) या बनाबटी तंतु (रेशा) ।

(1) प्राकृतिक तंतु - जंतुओं या पादपों से प्राप्त होने वाले तंतु ( फाइवर) को प्राकृतिक तंतु या नैचुरल फाइवर कहा जाता है। जैसे: सूत, ऊन, सिल्क (रेशम), जूट, आदि । ये प्राकृतिक तंतु इसलिए कहलाते हैं क्योंकि ये हमें सीधा प्राकृतिक से प्राप्त होते हैं।

प्राकृतिक तंतुओं को उनके श्रोत के आधार पर निम्नांकित दो भागों

में बांटा जा सकता है।

(i) पादप तंतु - पादपों से प्राप्त होने वाले तंतु को पादप तंतु या प्लांट फाइवर कहा जाता है। जैसे सूत, जूट या पटसन, फ्लेक्स, नारियल के रेशे, आदि।

(ii) जांतव तंतु - जंतुओं से प्राप्त होने वाले तंतु को जांतव तंतु या एनीमल फाइवर कहा जाता है। जैसे ऊन तथा रेशम (सिल्क) ।

हमें ऊन भेड़ अथवा बकरी के रोएं से प्राप्त होता है। इसके अलावे खरगोश, याक तथा ऊँट, आदि के रोएं से प्राप्त होता है। भेड़, बकरी, खरगोश, याक, ऊँट आदि जानवरों के शरीर पर मोटे रोएं होते हैं। शरीर के ये मोटे रोएं बाहर की ठंढक को शरीर के अंदर नहीं प्रवेश करने देते हैं तथा शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते हैं अर्थात इंसुलेटर का काम करते हैं। ये रोएं इन जानवरों को खराब मौसम से विशेषकर ठंढ से बचाते हैं। इनके शरीर के ये रोएं फ्लीस कहलाते हैं। फ्लीस को काट लेने पर इन्हीं रोएं को ऊन कहा जाता है।

(2) संश्लिष्ट तंतु या बनाबटी तंतु - ऐसे रासायनिक पदार्थ जो जंतुओं या पादपों से प्राप्त नहीं होता है से बनाये जाने वाले तंतु को संश्लिष्ट तंतु या बनाबटी तंतु कहते हैं। जैसे पॉलिएस्टर, नायलॉन, एक्रिलिक, आदि ।

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