Hindi, asked by anshusinha061, 5 months ago

'तप्त धारा जल से फिर शीतल कर दो' यह पंक्ति किस कविता से है?​

Answers

Answered by shishir303
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यह पंक्तियां “उत्साह” नामक कविता की हैं। ‘उत्साह’ कविता ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित कविता है।

व्याख्या ⦂

✎... ‘उत्साह’ कविता में तीन पंक्तियों में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कहते हैं कि...

विकल विकल, उन्मन थे उन्मन

विश्व के निदाघ के सकल जन,

आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!

तप्त धरा, जल से फिर

शीतल कर दो

अर्थात कवि ने तपती गर्मी से बेहाल लोगों के बारे में लिखा है कि तप्त कर देने वाली गर्मी से बेहाल लोगों का मन बेचैन हो रहा है। ऐसे में जब चारों दिशाओं में बादल के आए हैं तो कवि बादलों से कह रहे हैं कि इस तप्त धरती को अपने जल से शीतल कर दो ताकि लोगों को राहत मिले।  

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