Hindi, asked by khushisinghks472, 1 month ago

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। दोहे का भावार्थ लिखिए।​

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Answered by itzsecretagent
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\rm\underline\bold{Answer \purple{\huge{\checkmark}}}

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।

कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥

भावार्थ:- जिस तरह पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जन लोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।

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